यह पेज हिन्दी व्याकरण के सभी महत्वपूर्ण टॉपिक्स को सरल भाषा में समझाने के लिए बनाया गया है। CTET, TET, 10वीं, 12वीं तथा Graduation स्तर की परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह बेहद उपयोगी सामग्री है।
परिभाषा: भाषा की सबसे छोटी ध्वनि इकाई को वर्ण कहते हैं। वर्ण ही मिलकर शब्द बनाते हैं। हिन्दी भाषा में कुल 52 वर्ण माने जाते हैं।
शब्द: "राम" → र, आ, म तीन वर्ण हैं।
शब्द: "विद्यालय" → वि, द्, या, ल, य कुल 5 वर्ण हैं।
नोट: हिन्दी में वर्णों की यह संख्या कभी-कभी व्याकरणाचार्यों के अनुसार थोड़ी भिन्न मानी जाती है।
परिभाषा: किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव का नाम संज्ञा कहलाता है।
उदाहरण: "गंगा नदी पवित्र है।"
परिभाषा: संज्ञा या सर्वनाम से पुरुष या स्त्री होने का बोध लिंग कहलाता है।
परिभाषा: संज्ञा या सर्वनाम के एक या अनेक होने का बोध कराने वाले रूप को वचन कहते हैं।
परिभाषा: संज्ञा और क्रिया के बीच संबंध को कारक कहते हैं।
परिभाषा: संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द।
परिभाषा: जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।
परिभाषा: जो कार्य, घटना या अवस्था का बोध कराए।
परिभाषा: क्रिया के समय का बोध।
परिभाषा: जो शब्द रूप नहीं बदलते।
परिभाषा: क्रिया और कर्ता के संबंध का बोध वाच्य कहलाता है।
परिभाषा: शब्द के पहले लगकर अर्थ बदलने वाले भाग को उपसर्ग कहते हैं।
परिभाषा: शब्द के पीछे लगकर नया शब्द बनाने वाले भाग को प्रत्यय कहते हैं।
परिभाषा: दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से बने नए शब्द को समास कहते हैं।
परिभाषा: जब दो अक्षर या दो शब्द आपस में मिलते हैं और उनका उच्चारण या रूप बदल जाता है, तो उसे संधि कहते हैं। संधि का मुख्य उद्देश्य शब्दों का सुगम उच्चारण और सुंदर लेखन करना है।
| संधि का प्रकार | परिभाषा | उदाहरण |
|---|---|---|
| स्वर संधि | दो स्वर मिलकर नया स्वर बनाते हैं। | राम + ईश्वर = रामेश्वर गुरु + आलय = गुरूकुल |
| व्यंजन संधि | दो व्यंजन मिलते हैं और नया रूप बनता है। | सत् + गुण = सद्धर्म तत् + ब्रह्म = तद्ब्रह्म |
| विसर्ग संधि | विसर्ग (ः) के बाद स्वर या व्यंजन आता है। | दुः + ख = दुःख सः + अत्र = सत्र |
परिभाषा: लिखित भाषा में भाव स्पष्ट करने हेतु प्रयुक्त चिन्ह।
परिभाषा: काव्य में सुंदरता बढ़ाने वाले विशेष गुण।
परिभाषा: साहित्य में उत्पन्न होने वाली भावनाओं को रस कहते हैं।
परिभाषा: काव्य की लय और मात्रा को छंद कहते हैं।
परिभाषा: विचार प्रकट करने के लिए शब्दों का मेल।
परिभाषा: क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।
उदाहरण: 'ख' से खाना, 'लिख' से लिखना।
परिभाषा: किसी बड़े वाक्य का वह अंश जिसमें कर्ता और क्रिया हो।
उदाहरण: "मैं जानता हूँ कि तुम पढ़ते हो।"
परिभाषा: शब्दों के सामान्य अर्थ से अलग अर्थ वाले वाक्यांश।
उदाहरण: "नाक कटना" = अपमान होना।
परिभाषा: जीवन अनुभवों पर आधारित सामान्य सत्य वाक्य।
उदाहरण: "नाच न जाने आँगन टेढ़ा।"
परिभाषा: एक ही अर्थ वाले भिन्न-भिन्न शब्द।
उदाहरण: सूर्य – रवि, आदित्य, भानु।
परिभाषा: जिनका अर्थ एक-दूसरे का उल्टा हो।
उदाहरण: दिन – रात, सुख – दुख।
परिभाषा: संस्कृत से सीधे लिए गए शब्द तत्सम और उनमें बदले रूप तद्भव।
उदाहरण: 'मात्र' (तत्सम), 'माई' (तद्भव)।
परिभाषा: दो या दो से अधिक वर्णों का मेल।
उदाहरण: क्ष, त्र, ज्ञ
परिभाषा: स्वर की ध्वनि की लंबाई को मात्राएँ कहते हैं।
परिभाषा: शब्दों को उनके अर्थ और प्रयोग के अनुसार वर्गीकृत करना।