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हिन्दी व्याकरण - 30 महत्वपूर्ण टॉपिक्स
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हिन्दी व्याकरण

📚 हिन्दी व्याकरण — CTET, TET, 10वीं, 12वीं एवं स्नातक छात्रों के लिए

यह पेज हिन्दी व्याकरण के सभी महत्वपूर्ण टॉपिक्स को सरल भाषा में समझाने के लिए बनाया गया है। CTET, TET, 10वीं, 12वीं तथा Graduation स्तर की परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए यह बेहद उपयोगी सामग्री है।

1. वर्ण विचार (Varn Vichar)

परिभाषा: भाषा की सबसे छोटी ध्वनि इकाई को वर्ण कहते हैं। वर्ण ही मिलकर शब्द बनाते हैं। हिन्दी भाषा में कुल 52 वर्ण माने जाते हैं।

वर्णों के भेद:

  • स्वर (13): अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
  • व्यंजन (33): क, ख, ग, घ, ङ च, छ, ज, झ, ञ ट, ठ, ड, ढ, ण त, थ, द, ध, न प, फ, ब, भ, म य, र, ल, व, श, ष, स, ह
  • अन्य (6): संयुक्ताक्षर (क्ष, त्र, ज्ञ), अनुस्वार (ं), अनुनासिक (ँ), विसर्ग (ः)

वर्णमाला में कुल वर्णों की संख्या:

  • स्वर — 13
  • व्यंजन — 33
  • अन्य चिह्न — 6
  • कुल = 13 + 33 + 6 = 52 वर्ण

उदाहरण:

शब्द: "राम" → र, आ, म तीन वर्ण हैं।
शब्द: "विद्यालय" → वि, द्, या, ल, य कुल 5 वर्ण हैं।

नोट: हिन्दी में वर्णों की यह संख्या कभी-कभी व्याकरणाचार्यों के अनुसार थोड़ी भिन्न मानी जाती है।

2. संज्ञा

परिभाषा: किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव का नाम संज्ञा कहलाता है।

  • व्यक्तिवाचक – राम, गीता
  • जातिवाचक – लड़का, नदी
  • द्रव्यवाचक – पानी, सोना
  • भाववाचक – प्रेम, दया

उदाहरण: "गंगा नदी पवित्र है।"

3. लिंग

परिभाषा: संज्ञा या सर्वनाम से पुरुष या स्त्री होने का बोध लिंग कहलाता है।

  • पुल्लिंग – राजा, लड़का
  • स्त्रीलिंग – रानी, लड़की

4. वचन

परिभाषा: संज्ञा या सर्वनाम के एक या अनेक होने का बोध कराने वाले रूप को वचन कहते हैं।

  • एकवचन – बच्चा
  • बहुवचन – बच्चे

5. कारक

परिभाषा: संज्ञा और क्रिया के बीच संबंध को कारक कहते हैं।

  • कर्त्ता – राम ने खाना खाया।
  • कर्म – राम ने सेब खाया।
  • करण – राम ने छड़ी से खेला।
  • संप्रदान – राम ने गीता को किताब दी।
  • अपादान – राम ने पानी बाल्टी से लिया।
  • संबंध – यह राम की किताब है।
  • अधिकरण – राम खेल रहा है आँगन में

6. सर्वनाम

परिभाषा: संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द।

  • पुरुषवाचक – मैं, तुम, वह
  • निश्चयवाचक – यही, वही
  • अनिश्चयवाचक – कोई, कुछ
  • प्रश्नवाचक – कौन, क्या

7. विशेषण

परिभाषा: जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।

  • रंग – लाल फूल
  • गुण – अच्छा लड़का
  • संख्या – पाँच छात्र

8. क्रिया

परिभाषा: जो कार्य, घटना या अवस्था का बोध कराए।

  • मुख्य क्रिया – खाना, पीना, सोना
  • सहायक क्रिया – रहा है, गई थी

9. काल

परिभाषा: क्रिया के समय का बोध।

  • वर्तमान – मैं पढ़ता हूँ।
  • भूत – मैंने पढ़ा।
  • भविष्य – मैं पढ़ूँगा।

10. अव्यय

परिभाषा: जो शब्द रूप नहीं बदलते।

  • समुच्चयबोधक – और, या
  • निपात – ही, भी, तो
  • अव्यय क्रिया – अब, तब, यहाँ, वहाँ

11. वाच्य

परिभाषा: क्रिया और कर्ता के संबंध का बोध वाच्य कहलाता है।

  • कर्तृवाच्य – राम आम खाता है।
  • कर्मवाच्य – आम राम द्वारा खाया जाता है।
  • भाववाच्य – आम खाया गया।

12. उपसर्ग

परिभाषा: शब्द के पहले लगकर अर्थ बदलने वाले भाग को उपसर्ग कहते हैं।

  • प्र + गमन = प्रगमन
  • अनु + पालन = अनुपालन

13. प्रत्यय

परिभाषा: शब्द के पीछे लगकर नया शब्द बनाने वाले भाग को प्रत्यय कहते हैं।

  • विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
  • बाल + पन = बालपन

14. समास

परिभाषा: दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से बने नए शब्द को समास कहते हैं।

  • द्वंद्व – राम-लक्ष्मण
  • तत्पुरुष – राजपुत्र
  • कर्मधारय – नीलकमल
  • बहुव्रीहि – बहुभुज

संधि (Sandhi) - हिन्दी व्याकरण

परिभाषा: जब दो अक्षर या दो शब्द आपस में मिलते हैं और उनका उच्चारण या रूप बदल जाता है, तो उसे संधि कहते हैं। संधि का मुख्य उद्देश्य शब्दों का सुगम उच्चारण और सुंदर लेखन करना है।

संधि का प्रकार परिभाषा उदाहरण
स्वर संधि दो स्वर मिलकर नया स्वर बनाते हैं। राम + ईश्वर = रामेश्वर
गुरु + आलय = गुरूकुल
व्यंजन संधि दो व्यंजन मिलते हैं और नया रूप बनता है। सत् + गुण = सद्धर्म
तत् + ब्रह्म = तद्ब्रह्म
विसर्ग संधि विसर्ग (ः) के बाद स्वर या व्यंजन आता है। दुः + ख = दुःख
सः + अत्र = सत्र

16. विराम चिन्ह

परिभाषा: लिखित भाषा में भाव स्पष्ट करने हेतु प्रयुक्त चिन्ह।

  • । , ? ! “ ” ( ) - आदि

17. अलंकार

परिभाषा: काव्य में सुंदरता बढ़ाने वाले विशेष गुण।

  • उपमा – "गंगा चाँदी जैसी है।"
  • रूपक – "राम सूर्य समान तेजस्वी है।"
  • मानवीकरण – "सूरज मुस्कुरा रहा है।"
  • अनुप्रास – "नवनीत-नयना नवल-नीरद-नीला।"
  • अतिशयोक्ति – "उसकी आँखों में सागर समा गया।"

18. रस

परिभाषा: साहित्य में उत्पन्न होने वाली भावनाओं को रस कहते हैं।

  • श्रृंगार (प्रेम) – "राधा कृष्ण को देख कर मुस्काई।"
  • वीर (साहस) – "सैनिक ने दुश्मन का सामना किया।"
  • करुण (दया) – "अनाथ बच्चे को खाना दिया।"
  • हास्य (हँसी) – "राम के मज़ेदार किस्से।"
  • रौद्र (क्रोध) – "राक्षस क्रोधित हुआ।"
  • भयानक (डर) – "अंधेरी गुफा में भय।"
  • बीभत्स (घृणा) – "कीड़े-मकोड़े देखकर नफरत।"
  • अद्भुत (आश्चर्य) – "चमत्कार देखकर आश्चर्य।"
  • शांत (शांति) – "वन में शांति का अनुभव।"

19. छंद

परिभाषा: काव्य की लय और मात्रा को छंद कहते हैं।

  • दोहा – "जो नर दुःख में दुःख न मानै।"
  • चौपाई – रामचरितमानस में प्रयोग।
  • सोरठा, रोला आदि

20. वाक्य रचना

परिभाषा: विचार प्रकट करने के लिए शब्दों का मेल।

  • सरल – मैं स्कूल जाता हूँ।
  • संयुक्त – मैं पढ़ता हूँ और खेलता भी हूँ।
  • मिश्र – जब बारिश होती है तब मैं घर में रहता हूँ।

21. धातु

परिभाषा: क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।

उदाहरण: 'ख' से खाना, 'लिख' से लिखना।

22. उपवाक्य

परिभाषा: किसी बड़े वाक्य का वह अंश जिसमें कर्ता और क्रिया हो।

उदाहरण: "मैं जानता हूँ कि तुम पढ़ते हो।"

23. मुहावरे

परिभाषा: शब्दों के सामान्य अर्थ से अलग अर्थ वाले वाक्यांश।

उदाहरण: "नाक कटना" = अपमान होना।

24. लोकोक्तियाँ

परिभाषा: जीवन अनुभवों पर आधारित सामान्य सत्य वाक्य।

उदाहरण: "नाच न जाने आँगन टेढ़ा।"

25. पर्यायवाची

परिभाषा: एक ही अर्थ वाले भिन्न-भिन्न शब्द।

उदाहरण: सूर्य – रवि, आदित्य, भानु।

26. विलोम शब्द

परिभाषा: जिनका अर्थ एक-दूसरे का उल्टा हो।

उदाहरण: दिन – रात, सुख – दुख।

27. तत्सम-तद्भव

परिभाषा: संस्कृत से सीधे लिए गए शब्द तत्सम और उनमें बदले रूप तद्भव।

उदाहरण: 'मात्र' (तत्सम), 'माई' (तद्भव)।

28. संयुक्ताक्षर

परिभाषा: दो या दो से अधिक वर्णों का मेल।

उदाहरण: क्ष, त्र, ज्ञ

29. मात्राएँ

परिभाषा: स्वर की ध्वनि की लंबाई को मात्राएँ कहते हैं।

  • ह्रस्व – अ, इ, उ
  • दीर्घ – आ, ई, ऊ

30. शब्दभेद

परिभाषा: शब्दों को उनके अर्थ और प्रयोग के अनुसार वर्गीकृत करना।

  • संज्ञा – राम, नदी
  • सर्वनाम – वह, मैं
  • विशेषण – लाल, अच्छा
  • क्रिया – खाना, पीना
  • अव्यय – और, भी